Tuesday, February 16, 2021

जीत

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जीवन का हर क़दम जो
फूँक-फूँक कर रखते हैं
इन पैचीदा गलियों से जो
ज़रा सँभल कर गुज़रते हैं

गिरते हैं.....उठते हैं.....
लड़खड़ाकर फिर गिरते हैं
                        पर फिर जब उठते हैं..
तो इतिहास नए रचते हैं...

जीतते वो नहीं... जो जीतने का हुनर रखते हैं
जीतते वो हैं... जो फौलादी जिगर रखते हैं 

फ़रेब हुआ कितनी बार... 
सबक़ लिया उतनी बार...
अपनी ग़लतियों को कोसने में
जो  वक़्त  ज़ाया न करते हैं...
कमज़ोरी पर फ़तह पाकर अपनी
जो गर्व अनुभव करते हैं
ख़ुद से.. ख़ुद के मिलने पर
जश्न  हमेशा  करते  हैं......

जीतते वो नहीं... जो जीतने का हुनर रखते हैं
जीतते वो हैं... जो फौलादी जिगर रखते हैं

काँटों भरी राहों पर 
जो सफ़र अकेले करते हैं
क़ाफिले भी उनके साथ
 होने   का  दम  भरते  हैं
अपने वजूद पर बंदिशों को
हावी  नहीं  जो  करते  हैं
                          हर भँवर से वीरों की तरह
                          हँसकर..अकेले ही निकलते हैं

जीतते वो नहीं... जो जीतने का हुनर रखते हैं
जीतते वो हैं... जो फौलादी जिगर रखते हैं

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