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मेरे दिल के बेहद करीब...पेश है ये नज़्म....
तुम हो जैसे बहती नदी सी कोई,
आराम तुझे ग़वारा नही...
तेरे थकने मे गुज़र जायेंगे जमाने,
अभी तो इस नदी का सागर मे मिलना बाकी है,
चला तो हूँ मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
तेरी लिखी-सुनाई ये ग़ज़ल,
सुनी है हमने बहुत बार...
समझ तो लिया है तेरी गजल का हर एक एहसास,
अब बस इसे गुनगुनाना बाकी है
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
लड़खड़ाता तो आया हूँ तेरे संग आज तक,
तुम कहो अगर तो मुझे गिर भी जाना है..
नही रखेंगे उम्मीद कि तू मदद मांगे हमसे किनारे तक लाने की..
हम कूद जायेंगे भँवर में, अभी तेरे संग डूब जाना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
तेरी हर खुशी में मै साथ था,
तेरे हर गम में बनकर मै एहसास था...
हर ग़म बाँटा था हमने संग...
बस रात में तकिया भिगोना बाकी है..
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
कभी फूल तो, कभी काँटे-सा ही
तो बना हु मैं तेरी राहो में...
दुआओ में भी पढ़ा है मैने तुझे,
बस उन दुआओ को हक़ीकत बनाना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
कालिख सा होकर भी
तेरी चमक से रोशन है दुनिया मेरी...
बस इस कालिख को अपनी आँखो में,
काजल बनाना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
तेरे बेमिली- सी आदत में भी मिलन है मेरा,
तेरी हर सनक पे नाज़ है मुझे...
बस तेरी ऐसे ही सनक-पागलपन को,
अपने आँचल में सँजोये रखना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
जो खुद इत्रदान हो उसे क्या जरूरत है,
दुनिया के इस इत्र के बारिश की..??
मेरी साँसों तक में बसी है खुश्बू तेरी,
बस अब तेरी कस्तूरी को खोज लाना बाकी है
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
- तड़प-ए-इश्क 💝😍
मेरे दिल के बेहद करीब...पेश है ये नज़्म....
तुम हो जैसे बहती नदी सी कोई,
आराम तुझे ग़वारा नही...
तेरे थकने मे गुज़र जायेंगे जमाने,
अभी तो इस नदी का सागर मे मिलना बाकी है,
चला तो हूँ मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
तेरी लिखी-सुनाई ये ग़ज़ल,
सुनी है हमने बहुत बार...
समझ तो लिया है तेरी गजल का हर एक एहसास,
अब बस इसे गुनगुनाना बाकी है
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
लड़खड़ाता तो आया हूँ तेरे संग आज तक,
तुम कहो अगर तो मुझे गिर भी जाना है..
नही रखेंगे उम्मीद कि तू मदद मांगे हमसे किनारे तक लाने की..
हम कूद जायेंगे भँवर में, अभी तेरे संग डूब जाना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
तेरी हर खुशी में मै साथ था,
तेरे हर गम में बनकर मै एहसास था...
हर ग़म बाँटा था हमने संग...
बस रात में तकिया भिगोना बाकी है..
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
कभी फूल तो, कभी काँटे-सा ही
तो बना हु मैं तेरी राहो में...
दुआओ में भी पढ़ा है मैने तुझे,
बस उन दुआओ को हक़ीकत बनाना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
कालिख सा होकर भी
तेरी चमक से रोशन है दुनिया मेरी...
बस इस कालिख को अपनी आँखो में,
काजल बनाना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
तेरे बेमिली- सी आदत में भी मिलन है मेरा,
तेरी हर सनक पे नाज़ है मुझे...
बस तेरी ऐसे ही सनक-पागलपन को,
अपने आँचल में सँजोये रखना बाकी है...
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
जो खुद इत्रदान हो उसे क्या जरूरत है,
दुनिया के इस इत्र के बारिश की..??
मेरी साँसों तक में बसी है खुश्बू तेरी,
बस अब तेरी कस्तूरी को खोज लाना बाकी है
चला तो हूं मै संग तेरे कुछ, कुछ और चलना बाकी है..
आ तो गया हूं मै तेरे पास ज़रा, ज़रा और आना बाकी है।।
- तड़प-ए-इश्क 💝😍
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Happy Reading..!!! 😊