To be continued....
इंतज़ार करने के लिए शुक्रिया..!!
मुझे अजीब ठहरा कर जो ग़ैर बुनियादी इल्ज़ामात मुझ पर पिछली post में लगाए गए.. यूँ तो सभी मुझे ख़ुशी से क़ुबूल हैं.. पर आप ख़ुद ही फैसला करें वो सब कहाँ तक सही हैं..!!!!!! क्योंकि............
मेरी शख़्सियत पर ये इल्ज़ाम मुनासिब नहीं
सिक्के का बस एक ही पहलू जानो तो ये वाजिब नहीं 😞
हाँ....... तुम्हारी तरतीबी पर मुझे ऐतराज़ है
जानना चाहोगी.... इस के पीछे क्या राज़ है !!!
तो सुनो! तुम्हारी सभी ग़लतियाँ मुझे अच्छी लगती हैं
सोने से पहले उन्हें न सोचूँ तो वो रात ही मुझे अधूरी लगती है
नुक़्स का क्या कहूँ...वो तो मुझे दिखाई ही नहीं देते
पर क्या अल्फ़ाज़ दग़ाबाज़ हुए.. जो तुम्हें सुनाई नहीं देते
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों का आज़ाद रहना मुझे उम्दा लगता है
उसके पीछे से झाँकता हसीं चेहरा सबसे
अलहदा लगता है
शख़्सियत को तुम्हारी बयां ये ब-ख़ूबी करता है
खोने से जिसे यह दिल.. हमेशा से डरा करता है😍
बुरा लगता है जब तुम मसरूफ़ कहीं और हो जाती हो
पल-दो-पल को भी तवज्जो... तुम जब न फरमाती हो 😞
नज़रें जब न मिल पाएँ तो बातें कईं रह जाती हैं
और मन की मुराद मिलने पर शरारतें सूझ ही जाती हैं 😉
उन बाज़ू की सिलवटें हटाना मेरे लिए रूहानियत है
तुम्हें हो न हो... पर मानो उन्हें तो बस मेरी ही आदत है
तुम्हारे वो तराजू से तुले लफ़्ज़ मुझे ग़ैर बनाते हैं
अपनों से कुछ कहने में हम भला कब हिचकाते हैं ?? 😣
उस बेबाक अन्दाज़ से ही तो.. तुम ख़ुद को 'तुम' बनाती हो
कोशिश ही क्यों करती हो...जब मुझ से कुछ छिपा ही नहीं पाती हो !!!
ग़लतियों पर तवज्जो नहीं रहती मेरी अक्सर
पर उस सुर्ख़ चेहरे की ख़ातिर..क्या कुछ कर जाऊँ ????
बातों को अधूरी छोड़ने की उस अदा पर तो
कितने ही जनम लूँ...और फिर मर जाऊँ !!!!
पर हाँ..मुझे ऐतराज़ है तुम्हारे रूठ जाने से
रूठ जाने से नहीं.. बल्कि मेरे न मना पाने से 😢
पर ग़नीमत है...इस
रियाज़ से मैं इतना तो हूँ कह सकता
मुझसे ज़्यादा वक़्त तक कोई रूठा नहीं रह सकता 😊
आख़िरी जुमले का जवाब मिलकर ही दूँ तो मैं सही हूँ
ऐसा मौका छोड़ दूँ..आख़िर मैं इतना भी अजीब नहीं हूँ😜😘
नुक़्स- ग़लतियाँअलहदा- जुदारियाज़-अभ्यास
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